वीरो की भूमि को क्या हो गया
विदेशियों के सामने झुकने को मजबूर हो गया
दो कौड़ी के देश से शांति मांगता है
आत्म सम्मान से कितना दूर हो गया
सोने की चिड़िया बिक गयी बेमोल
चिन्दिचोर ले गये खजाने खोल खोल
बिना जीभ वाले कह रहे बोलो तोल तोल
जगदगुरु को सिखा रहे बढाओ मेल जोल
बापू के देश को शांति रखना बता रहे
वीर अशोक की धरती को रोज ललकार रहे
राम की पवन भूमि को मर्यादा का पाठ पढ़ा रहे
बुद्ध के प्यारे बेटो को त्यागी बनकर दिखा रहे
सब धर्म समेटे भारत को सांप्रदायिक देश बना रहे
नंग धडंग सभ्यता अपनाकर आखों का पानी मार रहे
परिवार समाज अपनत्व के संस्कारो को भुला रहे
थी विश्व पटल पर जो, उस पहचान को मिटा रहे
क्या हुआ यहाँ, देश की संस्कृति को भुला दिया
अंतिम साँस तक लड़ने वालों को हथियार डालना सिखा दिया
लज्जाशून्य हैं जो इतिहास नही देख पाए
हमने और सिर्फ हमने भारत माँ का सर झुका दिया
विदेशियों के सामने झुकने को मजबूर हो गया
दो कौड़ी के देश से शांति मांगता है
आत्म सम्मान से कितना दूर हो गया
सोने की चिड़िया बिक गयी बेमोल
चिन्दिचोर ले गये खजाने खोल खोल
बिना जीभ वाले कह रहे बोलो तोल तोल
जगदगुरु को सिखा रहे बढाओ मेल जोल
बापू के देश को शांति रखना बता रहे
वीर अशोक की धरती को रोज ललकार रहे
राम की पवन भूमि को मर्यादा का पाठ पढ़ा रहे
बुद्ध के प्यारे बेटो को त्यागी बनकर दिखा रहे
सब धर्म समेटे भारत को सांप्रदायिक देश बना रहे
नंग धडंग सभ्यता अपनाकर आखों का पानी मार रहे
परिवार समाज अपनत्व के संस्कारो को भुला रहे
थी विश्व पटल पर जो, उस पहचान को मिटा रहे
क्या हुआ यहाँ, देश की संस्कृति को भुला दिया
अंतिम साँस तक लड़ने वालों को हथियार डालना सिखा दिया
लज्जाशून्य हैं जो इतिहास नही देख पाए
हमने और सिर्फ हमने भारत माँ का सर झुका दिया
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